Monday, 6 December 2010

पिया की नींद

आज   मैंने  ऐसा   क्या  गुनाह  किया|
तुने  जो  अपना  मुँह  फेर  लिया |
आज  तुझे जल्दी  सोना  क्यूँ   भाये|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

तेरे  लिए  किया  मैंने  सारा  शृंगार |
मिलन  की  आस  में , तन  हुआ  अंगार|
तुझे  पुकारे  मेरी   ये  बाहें|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

रातरानी  उसका  गंध  फैलाये|
मेरा  मन  तो  तुझमे   घुल  जाये|
तेरे  चेहरे  से  ना  नजर  हट  जाये|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

समय  भागे  जब  तु  है  साथ|
आज  है  सारी  रुकी  रुकी  सी  बात|
ये  खास  पल  ना  ख़ाली  जाये|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

दुरियाँ अब  ना  सही  जाये|
बाहोमें  तेरी  रात  गुजर जाये|
जगाऊ कैसे  मोहे  शर्म आये|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

देखो   वो  निकला  सुबह  का  तारा|
अब  तो  हो  जाये  मिलन  हमारा|
ओठोंकी  मेल  में  गुस्सा  मिट  जाये|
मेरे  पिया  की  नींद  खुल  जाये|

कवी : बाळासाहेब तानवडे  
© बाळासाहेब तानवडे०६/१२/२०१०


No comments:

Post a Comment