Monday 6 December 2010

40 PLUS CLUB

जब चालिसी की आहट आती है|
तब तो धन की राहत होती है |
जिंदगी में हर खुशी की,
मनचाही बारिश होती है|

पर उल्टे-सीधे लत से, जुड़े नाता|
रोज की अधूरी नींद से ,चढे माथा|
काम की अनगिनत घंटोसे,
अपनी तबीयत से ध्यान हट जाता|

कभी दिल की धड़कन का बढ़ना|
तो कभी रगोमें चीनी का चढ़ना|
सब जोड़ोँके दर्द का जखड़ना|
 इसलिये भविष्य का घने अंधेरोंमें छाना|

विविध वैध्योन्से मेल-जोल है|
औषधोंका हररोज ज़ोर है|
रिपोर्तोंकी भडीमार बड़ी है|
जिंदगी जैसे अस्पतालो से जुड़ी है|

ये सब खाली बातोंको छोडो|
शरीर स्वास्थ्यसे नाता जोड़ो|
योग – प्राणायाम - ध्यान को अपनाओ|
निरोगी और खुशहाल जिंदगी को पाओ|

इसका नित्य - नियम बनाओ|
आलश्य से पिछा छुडाओ|
सकारात्मक विचारोँकि सोच से|
जिंदगी की रफ़्तार बढाओ|

कवी : बाळासाहेब तानवडे

© बाळासाहेब तानवडे०६/१२/२०१०

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