तब तो धन की राहत होती है |
जिंदगी में हर खुशी की,
मनचाही बारिश होती है|
पर उल्टे-सीधे लत से, जुड़े नाता|
रोज की अधूरी नींद से ,चढे माथा|
काम की अनगिनत घंटोसे,
अपनी तबीयत से ध्यान हट जाता|
कभी दिल की धड़कन का बढ़ना|
तो कभी रगोमें चीनी का चढ़ना|
सब जोड़ोँके दर्द का जखड़ना|
इसलिये भविष्य का घने अंधेरोंमें छाना|
विविध वैध्योन्से मेल-जोल है|
औषधोंका हररोज ज़ोर है|
रिपोर्तोंकी भडीमार बड़ी है|
जिंदगी जैसे अस्पतालो से जुड़ी है|
ये सब खाली बातोंको छोडो|
शरीर स्वास्थ्यसे नाता जोड़ो|
योग – प्राणायाम - ध्यान को अपनाओ|
निरोगी और खुशहाल जिंदगी को पाओ|
इसका नित्य - नियम बनाओ|
आलश्य से पिछा छुडाओ|
सकारात्मक विचारोँकि सोच से|
जिंदगी की रफ़्तार बढाओ|
कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – ०६/१२/२०१०
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