Monday, 11 April 2011

बिल्लिदीदी


बिल्लिदीदी- बिल्लिदीदी तू कितनी रे कोमल।
कितने प्यारे  है , तेरे  म्याउ- म्याउ बोल।

भाँजा तेरा बाघ राजा, तू उसकी मौशी।
कितना बड़ा वो   ,पर तू  छोटी कैसी?

खेलने  कोई  नहीं करके,चुपचाप बैठती हो।
चूहा भैया आता है,तो उसे भगा क्यों देती हो?

पड़ोसवाला  बिल्ला  तेरा  शोहर ही है ना?
सदा झगड़ा ही क्यों , कभी तो प्यार कर ना।

बिल्लिदीदी -  बिल्लिदीदी तेरा  अपना अच्छा है।
 पढ़ाई-पाठशाला का नाम नहीं,जैसे कोई छोटा बच्चा है।

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – /०/२०११

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