Monday, 6 December 2010

जीवनसाथी


 
मेरा  भाग्य  खुल  गया|
तुजसा   जीवन  साथी  जो  मिल  गया|
तूफान  में  फसी  मेरी  जीवन  नय्या को|
जैसे  किनारा  मिल  गया|

सुख  के  पल  कुछ  कुछ  पाया|
तपती  किरनोने  ही  अधिक  सताया|
तेरी  उम्मिदोंका  साथ  पाया|
तब  तो  अब  तक जी  पाया|

तु  है  तो  कुछ  तो  बात  है|
नहीं  तो  दिन  भी  अँधेरी  रात  है|
जिंदगी  तो  कड़ी  धुप  थी|
तुने तो दिया  घना  साया  है|

तेरे  मेरे  कुछ सुर  निराले  है|
फिर  भी  सुख  दुःख  के  गीत  साथ  गाये  है|
जैसे  संगम  की  दो  नदियोने|
सागर  के  सपने  साथ  पाए  है|

नसीब  के  खेल  बहुत  खेले|
कभी  ना  मन  चाहे  जीत  मिले|
फीके  फीके  रंग  मेरे  संसार  के|
तेरे  कारन  ही  गर्द  खिले|

तेरे  साथ  की  है  रवानी|
दुःख  दर्दोंकी  ना  रहेगी  निशानी|
ऐसी  होगी  अपनी  खूब  कहानी|
और जिंदगी  की  हर  भोर  होगी  सुहानी|

कवी : बाळासाहेब तानवडे

© बाळासाहेब तानवडे०६/१२/२०१०

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