Wednesday 17 August 2011

रक्षाबंधन


वर्षा कि बरसी अमृत धारा|
सज-सवरके बैठी जैसे ये धरा|

इतने में झुमके सावन आया|
त्योहारोन्का काल मनभावन आया|

राखीका खुशीवाला दिन आये|
भाई बहन का प्यार दिखलाये|  

दोनोंका होता है प्यार अमर|
बांधे एक दुजे को रेशम कि डोर|

त्योहार है ये प्यारा रक्षाबंधन|
महकाये रिश्ता जैसे ताजा चंदन|

आती रहेगी हर साल सावन कि पूनम|
 पवित्र रिश्ता बरकरार रहेगा जनम-जनम|

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – १३/०८/२०११
 

Thursday 4 August 2011

जिंदगी अनमोल



किसकी रहती है तुझे सदासे ही फ़िक्र?
कुछ तो किया कर किसीसे ज़िक्र|

कल की चिंताओं को गोली मार दो|
आजके सुहाने पल ख़ुशी से भर दो|

भगवान ने तुझे दिया सब कुछ खास है|
फिर क्यों मेरे यार तू उदास उदास है|

खुद की ओर गौर से देख तो ज़रा|
कुछ भी तो नही है प्यारे तुझमे बुरा|

खुशकिस्मत पायी है तूने लाखोंमे एक|
खुशी ले खुशी दे , ना पीछे मुड़के देख| 

 कोई अच्छे से शौक को अपनाओ|
बुरे विचारोन्को सदा केलिये दफनाओ|

प्राणायाम ,योग ,ध्यान के साथ जुडो|
वैद्य-दवाओंका का रिश्ता जड से तोडो|

खुशी से कर दे तेरा हर पल हराभरा|
प्यारे , ये हसीन जिंदगी ना मिले दोबारा|

अब तो छोड़ो ये सब बेकार की बाते|
खुशहाल जिंदगी बीताओ प्यारे हंसते गाते|

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – ०४/०८/२०११