होगी जिंदगी में हासिल जय।
अगर रहेगा बुलंद ध्येय।
सिर्फ स्वप्नरंजन से बात ना होगी पुरी।
कागज़ पर लक्ष्य की लिखावट जरूरी।
नयी कल्पनाओंकों जोड़ते जाओगे तबतक।
अंतिम ध्येय का ढाँचा पूरा ना हो जबतक।
सब कल्पनाओंकी अब योजना बनेगी।
कार्योंकी प्राथमिकता महत्वसे तय होगी।
सिर्फ लक्ष्य की चाहत ना होगी कभी पुरी।
पूर्णता की समय सीमा अविचल होना जरूरी।
अब किस की राह ना देखो।
शुभारंभ करो , आलश्य फेकों।
एक ही दिन ना बेकार जाये।
अंतिम लक्ष्य को नजदीक पाये।
लिखित ध्येय का महत्व सब जान जाये।
मनचाहा बुलंद ध्येय सब जन पाये।
कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – ०८/०४/२०११
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