Monday 11 April 2011

बिल्लिदीदी


बिल्लिदीदी- बिल्लिदीदी तू कितनी रे कोमल।
कितने प्यारे  है , तेरे  म्याउ- म्याउ बोल।

भाँजा तेरा बाघ राजा, तू उसकी मौशी।
कितना बड़ा वो   ,पर तू  छोटी कैसी?

खेलने  कोई  नहीं करके,चुपचाप बैठती हो।
चूहा भैया आता है,तो उसे भगा क्यों देती हो?

पड़ोसवाला  बिल्ला  तेरा  शोहर ही है ना?
सदा झगड़ा ही क्यों , कभी तो प्यार कर ना।

बिल्लिदीदी -  बिल्लिदीदी तेरा  अपना अच्छा है।
 पढ़ाई-पाठशाला का नाम नहीं,जैसे कोई छोटा बच्चा है।

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – /०/२०११

Friday 8 April 2011

संकल्प सिद्धी


होगी जिंदगी में हासिल जय।
अगर रहेगा बुलंद ध्येय।

सिर्फ स्वप्नरंजन से बात ना होगी पुरी।
कागज़ पर लक्ष्य की लिखावट जरूरी।

नयी कल्पनाओंकों जोड़ते जाओगे तबतक।
अंतिम ध्येय का ढाँचा पूरा ना हो जबतक।

सब कल्पनाओंकी अब योजना बनेगी।
कार्योंकी प्राथमिकता महत्वसे तय होगी।

सिर्फ लक्ष्य की चाहत ना होगी कभी पुरी।
पूर्णता की समय सीमा अविचल होना जरूरी।

अब किस की राह ना देखो।
शुभारंभ करो , आलश्य फेकों।

एक ही दिन ना बेकार जाये।
अंतिम लक्ष्य को नजदीक पाये।

लिखित ध्येय का महत्व सब जान जाये।
मनचाहा बुलंद ध्येय सब जन पाये।

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – /०४/२०११