वर्षा कि बरसी अमृत धारा|
सज-सवरके बैठी जैसे ये धरा|
इतने में झुमके सावन आया|
त्योहारोन्का काल मनभावन आया|
राखीका खुशीवाला दिन आये|
भाई बहन का प्यार दिखलाये|
दोनोंका होता है प्यार अमर|
बांधे एक दुजे को रेशम कि डोर|
त्योहार है ये प्यारा रक्षाबंधन|
महकाये रिश्ता जैसे ताजा चंदन|
आती रहेगी हर साल सावन कि पूनम|
पवित्र रिश्ता बरकरार रहेगा जनम-जनम|
कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – १३/०८/२०११
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