Wednesday, 17 August 2011

रक्षाबंधन


वर्षा कि बरसी अमृत धारा|
सज-सवरके बैठी जैसे ये धरा|

इतने में झुमके सावन आया|
त्योहारोन्का काल मनभावन आया|

राखीका खुशीवाला दिन आये|
भाई बहन का प्यार दिखलाये|  

दोनोंका होता है प्यार अमर|
बांधे एक दुजे को रेशम कि डोर|

त्योहार है ये प्यारा रक्षाबंधन|
महकाये रिश्ता जैसे ताजा चंदन|

आती रहेगी हर साल सावन कि पूनम|
 पवित्र रिश्ता बरकरार रहेगा जनम-जनम|

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – १३/०८/२०११
 

No comments:

Post a Comment