न मांगे मिले चंचलसा मन|
न समझू मेरे होणे का प्रयोजन|
मै न जाणू ,मै कौन ? हम है कौन?
भूक-प्यास लगे , शरीर दान-पाणी मांगे|
सारे अंग सोये ,सिर्फ सांस,धडकन जागे|
अंदर का नियंत्रण ना जाने करे कौन?
मै ना जाणू ,मै कौन ? हम है कौन?
आस्तिक रखे भगवान पे भरोसा|
नास्तिक ने है ,खुद को तराशा|
सोच कि मर्यादा ना उलंघे कौन|
मै ना जाणू ,मै कौन ? हम है कौन?
कोई अज्ञात शक्तीने सृष्टी को बनाया|
अदृश रहके इसको खूब चलाया|
इस महान कलाकृती को दाद देनेवाले कौन?
मैने कुछ जाना, मै कौन ? हम है कौन?
कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – ०४/०१/२०११
प्रतिसादाची प्रतीक्षा
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