Friday, 25 February 2011

चूहा भैया !

छुप – छुपके चलता है ,ची – ची करके बोलता है|
थोडीसी मेरी आहट से , खोपचे में दौडता है|

बिल्ली दिदिसे क्यों है तेरी सदा की दुश्मनी|
वह तो बेचारी रहती है तेरी सदा की दीवानी|

चूहे भैया - चूहे भैया , अरे रुक तो जरा|
मेरी एक छोटीसी बिनती , थोड़ी सुन तो जरा|

खेलने मुझसे आज ,  राजू नहीं आया|
मिनी से कल मेरा ,  झगड़ा हो गया|

आजा हम खेलते है , तू बन जा मेरा भिडू|
चोर – सिपाही खेलेंगे , देखेंगे TV पर जादू|

तेरा क्या चूहे भैया ! तू तो गणेशजी का दोस्त|
ठाट से बैठता है बाजु में , खाता है लड्डू मस्त|

अरे ओ , चूहे भैया ! मेरा एक काम कर ना रे|
गणेशजी को बोलकर , मुझे चंदामामा दे ना रे|

कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – २५/०/२०११
प्रतिसादकी प्रतीक्षा 

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