थोडीसी मेरी आहट से , खोपचे में दौडता है|
बिल्ली दिदिसे क्यों है तेरी सदा की दुश्मनी|
वह तो बेचारी रहती है तेरी सदा की दीवानी|
चूहे भैया - चूहे भैया , अरे रुक तो जरा|
मेरी एक छोटीसी बिनती , थोड़ी सुन तो जरा|
खेलने मुझसे आज , राजू नहीं आया|
मिनी से कल मेरा , झगड़ा हो गया|
आजा हम खेलते है , तू बन जा मेरा भिडू|
चोर – सिपाही खेलेंगे , देखेंगे TV पर जादू|
तेरा क्या चूहे भैया ! तू तो गणेशजी का दोस्त|
ठाट से बैठता है बाजु में , खाता है लड्डू मस्त|
अरे ओ , चूहे भैया ! मेरा एक काम कर ना रे|
गणेशजी को बोलकर , मुझे चंदामामा दे ना रे|
कवी : बाळासाहेब तानवडे
© बाळासाहेब तानवडे – २५/०२/२०११
प्रतिसादकी प्रतीक्षा